Tuesday, December 24, 2013

पशुपालन विभाग में पशु चिकित्सा...

प्रश्‍न 1 पशुपालन विभाग में पशु चिकित्सा संस्थाओं का समय क्या है ?
उत्तर
पशु चिकित्सा सस्थाओ मे रोगी पशुओ को देखने का समय निम्न प्रकार है ।
 
अवधि
समय
ग्रीष्म काल
1 मार्च से 30 सितम्बर तक
प्रातः 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक
सायंकाल :   5 बजे से 7 बजे तक
शीत काल
1 अक्टुबर से फरवरी अन्त तक
प्रातः 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक
सायंकाल :  4 बजे से 6 बजे तक
राजपत्रित अवकाश के दिन
ग्रीष्म काल
शीत काल
प्रातः 9 बजे से 11बजेतक
 
प्रश्‍न 2
पशुपालन विभाग के द्वारा कौन-कौन से वेक्सीन किस दर पर उपलब्ध कराये जाते हैं?
उत्तर
विभाग की विभिन्न संस्थाओं द्वारा निम्न दरों पर टीके लगाये जाते हैं
 
क्र. सं. टीके (वेक्सीन) का प्रकार दर
1. गलघोंटू रोग (एच.एस.) रू. 1/- प्रति टीका
2. लंगड़ा बुखार (बी.क्यू.) रू. 1/- प्रति टीका
3. फड़किया (ई.टी.) रू. 0.50 प्रति टीका
4. मुहपका खुरपका रोग (एफएमडी) अनुदानित दर पर
 
प्रश्‍न 3
अकाल की स्थिति में पशुओं को स्वस्थ्य रखने के लिए पशुपालक किन बातों का ध्यान रखे?
उत्तर
अकाल की स्थिति में पशुपालकों को पशुओं की आहार व्यवस्था पर अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। अकाल में हरे चारे की कमी के कारण पशुओं की निर्भरता रेशेदार सूखे चारे पर अत्यधिक बढ़ जाती है। अतः सूखे चारे की पोष्टिकता बढ़ाने में यूरिया द्घोल, यूरिया-शीरा, खनिज तरल मिश्रण एवं यूरिया शीरा खनिज ब्लाक सहायक होते हैं।
 
अतः अकाल के दौरान उपलब्ध भूसा, खाखला, कडवी, पुवाल या हरी पत्तिया आदि को यूरिया खोल से उपचारित कर पोष्टिक बनाया जा सकता है। इस विधि के उपयोग हेतु नजदीकी पशु चिकित्सालय में सम्पर्क करें।
 
अकाल के दौरान पशुपालकों को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिएः-
 
  • अकाल की स्थिति में स्थानीय उपलब्धता के अनुसार अरडू,खेजड़ी, बबूल, सूबबूल, पीपल, नीम, गूलर, बरगद, शहतूत आदि की पत्तियां पशुओं को खिलानी चाहिए।
  • जिन पशुपालकों के पास में चारा उगाने की सुविधा है वे चारा उगाने के साथ-साथ उसे हे एवं साइलेज के रूप में संरक्षित करके वर्षभर पशुओं को हरा चारा उपलब्ध करा सकते हैं।
  • सूखी द्घास एवं कडवी को कुट्टी बनाकर खिलाने से चारा व्यर्थ नहीं जायेगा।
  • पशुओं के आहार में खनिज लवणों की कमी को दूर करने के लिए पशुओं को प्रतिदिन 50 ग्राम मिनरल मिक्सचर पाउडर खिलावें।
 
प्रश्‍न 4
गाय भैंसों का दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर
गाय भैंसों में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।
 
  • सन्तुलित पशु आहार- पशुओं को सन्तुलित पशु आहार खिलाना चाहिए जिसमें सूखे एवं हरे चारे के साथ-साथ आवश्यकता अनुसार बांटा खिलाना चाहिए। दुधारू पशुओं को खनिज लवण एवं साधारण नमक भी नियमित पशु आहार में मिलाकर खिलाया जाना चाहिए।
  • स्वास्थ्य रक्षाः दुधारू पशुओं को नियमित स्वास्थ्य जांच करवायी जानी चाहिए। पशुओं को वर्ष में दो बार क्रमिनाशक दवा की खुराक दी जानी चाहिए। मुख्य रोगों के टीके समय पर लगवाने का ध्यान रखना चाहिए। पशु के अस्वस्थ्य होने एवं उत्पादन में कमी होने पर तुरन्त पशु चिकित्सालय में सम्पर्क किया जाना चाहिए।
  • पशु प्रजननः गाय भैंसों में अधिक दुग्ध उत्पादन एवं उन्नत संतति के लिए उच्च गुणवत्ता वाले नर सांड से प्राकृतिक परिसेवा अथवा कृत्रिम गर्भाधान द्वारा गर्भित करवाना चाहिए। कम उत्पादक नर पशुओं को बधिया करवाया जाना चाहिए। मादा पशुओं के ताव में नहीं आने अथवा गर्भ नहीं ठहरने की स्थिति में तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर उपचार कराना चाहिए। ताकि पशु का शुष्क समय न्यूनतम रखा जा सके।
  • पशु प्रबन्धनः पशुओं के उचित रख-रखाव, आवास व्यवस्था, आहार व्यवस्था दूध दोहन का तरीका एवं साफ-सफाई के प्रबन्धन से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है। पशुओं को अन्तः एवं बाह्‌य परजीवियों से बचाव करना चाहिए।
 
प्रश्‍न 5
सन्तुलित पशु आहार क्या है ?
उत्तर
सन्तुलित पशु आहर चारे व दाना का वह मिश्रण जिसमें पशुओं के लिए आवश्यक विभिन्न पोषक तत्व उचित मात्रा एवं अनुपात में होते हैं। पशुओं के आवश्यक विभिन्न पोषक तत्व कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण, विटामिन आदि हैं। पशुओं को स्वस्थ्य एवं उत्पादकता बनाये रखने के लिए उन्हें पोषिक एवं सन्तुलित मात्रा में देना नितान्त आवश्यक है।
 
प्रश्‍न 6
नवजात बछड़ा-बछड़ी के खानपान का ध्यान कैसे रखें?
उत्तर
 नवजात बछड़े-बछड़ियों के जन्म के दो घण्टे के अन्दर ही आधा किलो खीस (कोलस्ट्रम) नवजात को खिलाना चाहिए। खीस नवजात के लिए सर्वाधिक पोष्टिक एवं सुरक्षित आहार है। इससे नवजात को बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। 15 दिन पश्चात्‌ नवजात को ठोस आहार शुरू कर देना चाहिए । इसमें मुलायम द्घास, रजका आदि खिलाना शुरू करना चाहिए साथ में थोड़ा थोड़ा गेहू का दलिया, चोकर , पिसी हुई मक्का आदि खिलाना चाहिए। 5-6 माह की उम्र पर बछड़े बछड़ियों को हर प्रकार का चारा खिलाया जा सकता है।
 
प्रश्‍न 7
कृत्रिम गर्भाधान क्या है?
उत्तर
कृत्रिम गर्भाधान में अच्छी नस्ल के सांड के हिमकृत वीर्य को विशेष उपकरणों द्वारा ताव में आये हुये गाय, भैंस के जननांग में डाल कर ग्याबन किया जाता है। 
 
प्रश्‍न 8
राज्य में पशुओं के लिए कौन कौन सी बीमा योजना चल रही हैं एवं उनके बारे में संक्षिप्त में जानकारी क्या है?
उत्तर
विभाग के द्वारा वर्तमान में पशुओं एवं पशुपालकों के लिए निम्न बीमा योजनाएं चल रही हैं :-
 
 
भेड बीमा योजनाएं:
 
 
क्र.स. योजना पात्रता प्रिमियम अनुदान बीमा लाभ
1 अविका कवच योजना ऐसे भेडपालक जिनके पास प्रदेश मे प्रचलित नस्ल की कम से कम 25 भेडे हो । भेड की कीमत का 5 प्रतिशत कुल प्रीमियम का 25 प्रतिशत भेड की मृत्यु अथवा पूर्ण विकलांगता पर 100 प्रतिशत बीमा लाभ
2. अविकापाल जीवन रक्षक योजना ऐसे भेडपालक जिनके पास प्रदेश मे प्रचलित नस्ल की कम से कम 25 भेडे हो । 25 भेडपालको का समूह होना आवश्यक है। 200 रूपये प्रीमियम राशि 100 रूपये का भुगतान केन्द्र सरकार की सामाजिक सुरक्षा निधि से तथा 25 रूपये पशुपालन विभाग द्वारा दिये जायेगें  । मृत्यु पर बीमा लाभ रूपये 30000/- दुर्घटना से मृत्यु पर रूपये75,000 दुर्घटना से पूर्ण विकलांगता पर रूपये 75,000/- तथा आंशिक विकलांगता पर रूपये 37,500/-
3. अविरक्षक योजना ऐसे भेडपालक जिनके पास प्रदेश मे प्रचलित नस्ल की कम से कम 25 भेडे हो । 15 रूपये 5 रूपये का अनुदान पशुपालन विभाग द्वारा किया जायेगा । दुर्घटना से मृत्यु पर रूपये 25,000/- दुर्घटना से पूर्ण विकंलागता पर 25,000/-रू तथा आंशिक विकलांगता पर 12,500/-रू का लाभ देय होगा ।
 
 
पशु बीमा योजनाएं:
 
 
क्र.स. योजना पात्रता प्रिमियम अनुदान बीमा लाभ
1 कामधेनू योजना योजनान्तर्गत ऐसे पशुपालक जिनके पास प्रदेश में प्रचलित संकर एवं देशी गौवंशीय नस्लों के मादा पशु जिनकी उम्र 2 से 10 वर्ष तक की होनी चाहिए पशु की कीमत का 4 प्रतिशत प्रीमियम कुल प्रीमियम का 25 प्रतिशत अनुदान पशु मृत्यु अथवा पूर्ण विकलांगता पर 100 प्रतिशत बीमा लाभ
2. गोपालक बीमा योजना 25 पशुपालको का समूह होना आवश्यक है। 200 रूपये प्रीमियम राशि 100 रूपये का भुगतान केन्द्र सरकार की सामाजिक सुरक्षा निधि से तथा 25 रूपये पशुपालन विभाग द्वारा दिये जायेगें  । मृत्यु पर बीमा लाभ रूपये 30000/- दुर्घटना से मृत्यु पर रूपये 75,000 दुर्घटना से पूर्ण विकलांगता पर रूपये 75,000/- तथा आंशिक विकलांगता पर रूपये 37,5 00/-
3. गोरक्षक योजना योजनान्तर्गत ऐसे पशुपालक जिनके पास प्रदेश में प्रचलित संकर एवं देशी गौवंशीय नस्लों के मादा पशु जिनकी उम्र 2 से 10 वर्ष तक की होनी चाहिए कुल प्रीमियम रूपये 60 ( बीमा रांशि रूपये 100000/  ) 20 रूपये का अनुदान पशुपालन विभाग द्वारा दिया जावेगा दुर्घटना से मृत्यु पर रूपये 25,000/- दुर्घटना से पूर्ण विकंलागता पर 25,000/-रू तथा आंशिक विकलांगता पर 12,500/-रू का लाभ देय होगा ।
नोटः
योजना की विस्तृत जानकारी के लिए अपने जिले के उप निदेशक पशुपालन विभाग कार्यालय अथवा निकटतम पशु चिकित्सालय मे सम्पर्क करे
 
दुधारू पशुओ के लिये केन्द्रीय बीमा योजना
 
 
उद्देश्‍य
पशुपालको को उत्तम संतति के दुधारू पशुओं के संधारण के लिये प्रेरित करना और उनकी असामयिक मृत्यु की स्थिति में पशुपालको को शात प्रतिशात आर्थिक पुर्नभरण का लाभ पहुचाना ।
योजना के लाभ
  1. दुग्ध धन कवच योजनान्तर्गत बीमा करवाये जाने वाले पशुओं के बीमा की प्रीमियम राशि का 50 प्रतिशत पशुपालक को देना पडेगा जबकि  50 प्रतिशत राशि को सरकार द्वारा वहन किया जायेगा ।
  2. यदि पशु की अकाल मृत्यु हो जाती है तो बीमा कराये गये पशु की पूरी कीमत बीमा राशि के आधार पर तुरंत रूपये पशुपालक को देय होगी ।
  3. योजनान्तर्गत सामान्य से कम दर पर पशुओ की लधु अथवा दीर्ध अवधि की बीमा सुविधा उपलब्ध है।
  4. यदि पशुपालक बीमा कराये गये अपने पशु को बेचना चाहते है तो मात्रा 15/ रूप्ये के शुल्क पर बीमा के त्वरित हस्तांतरण की सुविधा उपलब्ध होगी ।
योजना का वर्तमान कार्यक्षेत्र :
योजना को वर्तमान में पायलट आधार पर निम्न जिलो में लागू किया गया है :
1 जयपुर 2. सीकर 3. उदयपुर 4. झुन्झुनु 5. अलवर 6. भरतपुर
पात्रता :
योजना में कोई भी पशुपालक किसी भी नस्ल की अपनी उच्च गुणवत्ता की गाय एवं भैंस का बीमा करवा सकता है ।
अनिवार्यता :
बीमा करवाये जाने वाला पशु का दुग्ध उत्पादन 1500 लीटर प्रति ब्यांत से कम नही होना चाहिये ।
एक पशुपालक को अधिकतम दो पशुओ के प्रीमियम  के भुगतान पर 50 प्रतिशत की छूट  होगी ।
बीमा करवाये जाने के लिय प्रस्तावित पशु किसी अन्य बीमा योजना में बीमित नही होना चाहिये ।
पशु की आयु :
  1. गाय : 2 वर्ष अथवा प्रथम बार ब्याने की उम्र से 10 वर्ष ।
  2. भैस : 3 वर्ष अथवा प्रथम बार ब्याने की उम्र से 12 वर्ष ।
प्री‍मियम राशि :
प्री‍मियम राशि निम्नानुसार देय होगी :-
  1. एक वर्षीय बीमा - पशु मूल्य का 4 प्रतिशत
  2. तीन वर्षीय बीमा - पशु मूल्य का 10.2 प्रतिशत
  3. अतिरिक्त जोखिम - पशु मूल्य का 1 प्रतिशत प्रतिवर्षा (पशुपालक द्वारा चाहने पर )
  4. सेवा शुल्क - केन्द्र सरकार के नियमानुसार
नोट अतिरिक्त जोखिम के प्रीमियम एवं सेवा शुल्क पर छूट देय नही है तथा इस राशि को पशुपालक द्वारा वहन किया जायेगा ।
किससे सम्पर्क करे :
  1. निकट के किसी भी राजकीय पशुचिकित्सालय
  2. जिले के उपनिदेशाक पशुपालन विभाग ।
  3. जिले के द न्यू इण्डिया एश्‍योरेन्स कम्पनी की किसी भी शाखा में ।
राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड पशुधन भवन, टोंक रोड, जयपुर के कार्यालय में ।
 
प्रश्‍न 9.
बधियाकरण से क्या लाभ है एवं यह सुविधा कहां पर उपलब्ध है?
उत्तर
नर पशु को जनन से अयोग्य करने के लिए विशेष उपकरण द्वारा बधिया किया जाता है यह सुविधा प्रत्येक पशु चिकित्सा संस्था पर उपलब्ध है। बधियाकरण से निम्न लाभ हैं:
 
  • नाकारा व निम्न सांडों के बधियाकरण द्वारा अवांछित जनन पर रोक लगाई जा सकती है ताकि जनन द्वारा नाकारा बछड़े-बछड़ी पैदा ना हो।
  • बधियाकरण द्वारा तैयार बैलों द्वारा अधिक क्षमता से कार्य हो पाता है।
  • भेड़ एवं बकरी के नर पशु के वजन में वृद्धि शीद्घ्र होती है।
  • बधियाकरण से नर पशु शान्त बन जाते हैं।
 
प्रश्‍न10
.गाय भैंस में किन प्रमुख रोगों के बचाव हेतु टीकाकरण किया जाना आवश्‍यक होता है एवं टीकाकरण कब किया जाना चाहिए?
उत्तर  संक्रामक रोगों के बचाव हेतु टीकाकरण व लक्षण आदि की सूचना निम्नानुसार हैः
 
बीमारी का नाम रोग से ग्रसित होने वाले पशुधन रोग के प्रमुख लक्षण बचाव हेतु टीके लगवाने का उचित समय
एच.एस. गलघोटू गाय, भैंस, भेड़ व बकरी
  • तेज बुखार
  • आंखे लाल व सूजी
  • नाक व मुंह से पानी गिरना
  • गले केनीचे दर्दकारी सूजन
  • सांस लेने में कठिनाई, दम घुटने से द्घर्र-द्घर्र आवास जाना
  • दम घुटने से मृत्यु
मनसून पूर्व
बी.क्यू (लंगड़ा बुखा) गाय, भैंस, भेड़ व बकरी (कम उम्र के स्वस्थ पशु में संभावना अधिक)
  • तेज बुखार
  • आंखे लाल
  • पुट्ठे पर गर्म सूजन जो बाद में ठंडी हो जाती है।
  • सूजन को दबाने पर चट-चट की आवाज आती है।
  • लंगड़ापन
मनसून पूर्व
एफ.एम.डी. (खुरपका-मुंहपका) गाय, भैंस, भेड़, बकरी व ऊंट
  • तेज बुखार, खाना छोड़ना
  • मुंह से लम्बी लार गिरना
  • मुंह तथा जीभ में छाले
  • खुरों के बीच में लख्म व मवाद पड़ना
  • पैरो से लंगड़ाना
नवम्बर-दिसम्बर
जून-जुलाई
 
प्रश्‍न11
.स्वस्थ्य एवं बीमार गाय के लक्षण क्या हैं?
उत्तर
स्वस्थ गाय के लक्षण :
 
  • खाना पीना, जुगाली सामान्य रूप से करना।
  • गोबर न ज्यादा ढीला न ज्यादा सख्त।
  • पेशाब हल्के पीले रंग का।
  • शरीर का तापमान सामान्य व सांस की गति सामान्य।
  • शरीर की चमडी चमकदार व बाल चमड़ी से सटे हुए।
  • सामान्य दूध उत्पादन, दूध दोहने में कोई कठिनाई नही।
  • आंखें चमकीली, गाय चौकन्नी।
 
बीमार गाय के लक्षण :
 
  • खाना पीना, जुगाली कम या बिलकुल बंद।
  • लटके कान, सुस्त, बाल सूखे और खडे।
  • शरीर के तापमान में बढोतरी बुखार सांस लेने की गति तेज या धीमी।
  • आंख, मुंह से पानी, लार गिरना।
  • गोबर पतला होना या बहुत सख्त होना।
  • दूध उत्पादन में कमी व दूध दोहने में समस्या।
  • पेशाब गाढ़े पीले, काली चाय
 
प्रश्‍न12
.छुआ छूत के रोगों से बचाव के उपाय क्या उपाय करने चाहिए?
उत्तर
बीमार और स्वस्थ पशुओं को अलग रखें।
 
प्रत्येक पशुको अलग-अलग स्वच्छ पानी की व्यवस्था करें।
 
रोग की सूचना नजदीक के पशु चिकित्सालय / औषधालय में तुरन्त दें ताकि इसकी रोकथाम की जा सके।
 
पशु को बांधने के स्थान पर कीटनाशक दवा का छिड़काव करना।
 
मृत पशु को गहरा गडडा खोद कर उसके उपर चूना, नमक डालकर मिट्टी से अच्छी प्रकार दबा देना तथा झाडियां डाल देनी चाहिए ताकि स्वस्थ पशु वहां न चर सकें।
 
प्रश्‍न13
.थनैला रोग से बचाव के उपाय क्या हैं?
उत्तर
गौशाला की साफसफाई का विषेश ध्यान दें।
 
ग्वालों के हाथ, कपड़ों, दूध के बर्तन, पशु बांधने की जगह तथा अयन की साफ सफाई रखना अति आवश्यक है।
 
दूध दूहते समय गाय को अच्छा बांटा खाने को दें।
 
संभव हो सकेतो गाय को दूहने के बाद आधा घंटा तक बैठने न दें। 

Article Credit: http://animalhusbandry.rajasthan.gov.in/feq.html

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