भैंस
को आहार खिलाते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए की वह आहार किस उद्देश्य के
लिए दिया जा रहा है तथा भैंस के शरीर में वह आहार कहाँ और कैसे उपयोग में
आता है। इस आèाार पर आहार/राशन को हम निम्नलिखित भागों में बाँट सकते हैं।
- जीवन निर्वाह आहार(1)
- बढ़वार आहार(2)
- गर्भावस्था आहार(3)
- उत्पादकता आहार(4)
जीवन निर्वाह आहार -
चारे तथा दाने की वह कम से कम मात्रा जो पशु की आवश्यक जीवन क्रियाओं के
लिए जरूरी होती है जिससे पशु विशेष के वजन में न तो कमी आये न ही वृद्धि
हो, जीवन निर्वाह आहार कहलाती है। जीवन निर्वाह आहार की मात्राा पशु के वजन
पर निर्भर करती है। दूसरे शब्दों में अधिक वजन वाले पशु को जीवन निर्वाह
के लिए अधिक आहार की आवश्यकता पड़ती है। चारे के अतिरिक्त एक वयस्क भैंस को
लगभग एक से दो किलोग्राम दाना मिश्रण जीवन निर्वाह आहार के रूप में दिया
जाता है।
बढ़वार आहार - चारे
व दाने की वह मात्रा जो छोटे बच्चों की शारीरिक वृद्धि कर उनका वजन बढ़ाने
में खर्च होती है, बढ़वार राशन कहलाती है। इसे जीवन निर्वाह आहार के
अतिरिक्त दिया जाता है। बढ़ते हुए कटड़े/कटड़ियों को उम्र के अनुसार आधा
किलो से दो किलो तक दाना मिश्रण चारे के अतिरिक्त खिलाया जाता है।
गर्भावस्था आहार -
पशु के सात महीने से अधिक की गाभिन होने पर उसे जीवन निर्वाह के अतिरिक्त
गर्भावस्था में बच्चे के विकास तथा स्वयं को प्रसूतिकाल और उसके बाद स्वस्थ
रखने के लिए जिस अतिरिक्त राशन की आवश्यकता होती है उसे गर्भावस्था आहार
कहते है। भैंस को चारे की गुणवत्ता और गर्भाधान के दिन के आधार पर आठवें
महीने से 1 से 2 किलोग्राम दाना मिश्रण अवश्य दिया जाता है।
उत्पादकता आहार -
जीवन निर्वाह आहार के अतिरिक्त जो राशन दूध उत्पादन के लिए दिया जाता है,
वह उत्पादकता आहार कहलाता है। उत्पादकता आहार की मात्रा भैंस द्वारा दिये
जाने वाले दूèा पर निर्भर करती है। दूसरे शब्दों में अधिक दूध देने वाली
भैंस को अधिक उत्पादकता आहार दिया जाता है। भैंस को प्रत्येक दो किलोग्राम
दूध पर (6 से 7 कि0ग्रा0 प्रतिदिन दूध होने पर) एक किलोग्राम दाना मिश्रण
की आवश्यकता पड़ती है। यह भरपेट अच्छे चारे के अतिरिक्त होती है।
भैंस 1 2 3 4
शुष्क व बूढी भैंस ü û û û
कटडे़/कटड़ियां ü ü û û
गाभिन कटड़ी ü ü û û
पहलौन कटड़ी ü ü ü ü
दूध देने वाली भैंस ü û û ü
दूध देने वाली गाभिन भैंस ü û û ü
शुष्क किन्तु गाभिन भैंस ü û ü û
पहलौन दूध देने वाली गाभिन भैंस ü ü ü ü
ü आवश्यकता है
û आवश्यकता नहीं है
इस
तालिका से स्पष्ट है कि वे भैसें जो दूध नहीं देती, गाभिन नहीं है और
बूढ़ी हो चली हैं, उन्हें केवल जीवन निर्वाह के लिए ही आहार की आवश्यकता
होती है। इसके विपरीत जिस कटड़ी ने पहली बार बच्चा दिया है तथा फिर गाभिन
भी हो गर्इ है, उसे सबसे अधिक आहार की जरूरत पड़ती है। प्रजनन की सबसे अधिक
समस्यायें इन्हीं भैंसों में देखने को मिलती हैं क्योंकि इन्हें जीवन
निर्वाह व उत्पादकता आहार के अतिरिक्त शरीर की बढ़वार के लिए भी पोषण की
आवश्यकता होती है। यदि ब्याने के बाद भैंस का वजन तेजी से घटता है तो यह इस
बात का प्रतीक है कि उसे आवश्यकतानुसार आहार नहीं मिल पा रहा है। प्रारम्भ
में भैंस अपने अन्दर भंडारित ऊर्र्जा स्रोत वसा को प्रयोग में लाती है।
उसके समाप्त होने पर वह अपने अंदर के प्रोटीन को प्रयोग में लाती है। तब भी
आवश्यकतानुसार राशन नहीं मिलने पर उसका उत्पादन व बढ़वार दोनों बुरी तरह
प्रभावित होते हैं। यहाँ ध्यान रखने योग्य बात यह है कि प्रजनन के लिए शरीर
को ऊर्जा तभी मिलती है जब जीवन निर्वाह, बढ़वार और उत्पादन के लिये आवश्यक
पोषण पशु को ठीक प्रकार से मिल रहे हों। किसी एक में भी कमी रहने पर सबसे
पहले प्रजनन ही बाधित होता है। अत: यह कहा जा सकता है कि संतुलित आहार भैंस
के स्वास्थ्य तथा उत्पादन एवं प्रजनन क्षमता बनाये रखने के लिये आवश्यक
है।
Article Credit:http://www.buffalopedia.cirb.res.in/
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