Friday, December 6, 2013

बछड़े - बछड़ियों की देखभाल कैसे करें ?

आज की बछड़ी कल की होने वाली गाय-भैंस है। जन्म से ही उसकी सही देखभाल रखने से भविष्य में वह अच्छी गाय भैंस बन सकती है। स्वस्थ बचपन में अगर बछड़ियों का वजन लगातार तेजी से बढ़ता है तो वे सही समय पर गाय भैंस बन जाती है। पषु पालक को एक गायश्भैंस से ज्यादा ब्यांतश्ज्याद दूध मिलने से अधिक लाभ होता है। ब्यांहने के पहले, आखिरी के दो महीनों में गर्भ बहुत तेजी से बढ़ता है। इन्ही दो महीनों में गायश्भैंस की पाचन षक्ति कम हो जाती है। ऐसे में संतुलित पशु आहार खिलाना बहुत जरूरी है। बच्चादानी में तेजी से बढ़ रहे बछड़े की सम्पूर्ण बढ़ोत्तरी के लिए गायश्भैंस को आखरी के दो महीने अच्छी गुणवत्ता का संतुलित आहार रोजाना 1.5 से 2.0किलोग्राम खिलाना चाहिए। ऐसा करने से ब्यांहने के समय तथ ब्यांहने के बाद की कई अन्य कठिनाईयां जैसे कमजोरी, जेर अटकना, पिच्छा बाहर आना (फूल दिखाना) मिल्क फिवर इत्यादि से भी छुटकारा मिल सकता है।

ब्याहने के बाद बछड़े - बछड़ियों की देखभाल कैसे करें ?
-जन्म के बाद बछड़े का नाकश्मुँह साफ करें।
-नाल को चार अंगुली नीचे छोटा धागा या रस्सी से बाँध कर साफश्सुथरी कैंची या ब्लेड से काटें। बाद में नाल को आयोडीन के कप में अच्छी तरह से डुबो लें।
-बछड़े को साफ कपड़े से रगड़ कर सुखाएं।
-बछड़े को माँ के सामने रखें। माँ के लगातार चाटने से बछड़े के षरीर में खून दौड़ने लगता है।
-जन्म के बाद एक घंटे के अंदर बछड़ेश्बछड़ियों को खींस जरूर पिलाना चाहिए। खींस पिलाने के लिए जेर गिरने की राह नहीं देखें। एक घंटे के अन्दर पिलाया हुआ खींस बछड़ों को भविष्य में कई खतरनाक बीमायिों से बचाने की जाकत देता है। बछड़ेश्बछड़ियों को उनके वजन के 10 प्रतिषत खींस रोज पिलाना चाहिए जैसे 25 किलोग्राम वजन कें बछड़े को 2.5 किलोग्राम खींस पिलाएं।

बछड़ों को दूध पिलाने की अलगश्अलग विधियाँ :
-माँ के ऑंचल से : गायश्भैंस के थन साफश्सुथरे होने चाहिएं।
-साफश्सुथरी बाल्टी में से : गर्म करके ठंडा किया हुआ दूध। बछड़ा बहुत जल्दी मं दूध नहीं पीए, इसका ध्यान रखें वरना बदहज़मी हो सकती है।
-उल्टी टंगी हुई दुध की बोतल से : बोतल को हर बार गर्म पानी से साफ कर लीजिए।
-दूध पीना समाप्त करने पर बछड़े का मँह गीले कपड़े से साफ कर लें।
-उम्र के डेढ़श्दो मास के बाद, दिन में एक ही बार दूध पिलाएं। बछड़े को धीरेश्धीरे गेहँ की चोकर, दलिया, पिसा हुआ मक्का इत्यादि खने की आदत डालें। छोटे बछड़ेश्बछड़ियों के लिए खास तौर पर बनाया गया संतुलित आहार 'काफ स्टार्टर' भी दे सकते हैं।
-उम्र के दो महीने बाद प्रत्येक बछड़ेश्बछड़ी को प्रति दिन 10 ग्राम मिनरल मिक्सचर अवष्य खिलाएं।
-6 महीने से कम उम्र वाले बछड़ेश्बछड़ियों को यूरिया मिश्रित पशु आहार न खिलाएं। वयस्क गायश्भैंसों के लिए बनाया गया ऐसा आहार बछड़ेश्बछड़ियों  को हानि पहँचाता है।
-डेढ़ से दो महीने के बछड़ेश्बछड़ियों को पेट के कीड़े मारने की दवा (क्मूवतउमत) देना बहुत जरूरी है। यह दवा साल में दो बार अवष्य दें।
-डम्र के तीन महीने बाद ''मुँह पका - खुर पका'' नामक बीमारी की रोकथाम के लिए टीका जरूर लगवाएं। जरूरत होने पर 10 दिन बाद ''गलाश्घोंटू'' बीमारी का भी टीका लगाना चाहिए।
समयश्समय पर ''चिचड़'' का प्रतिबंधन करने से बछड़ेश्बछड़ियों का वजन बढ़ने में मद्द होती है। चिचड़ों के माध्यम से फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम होती है।
चिचड़ों के लिए घरेलू दवा बनाने की विधि :
दो लीटर खट्टा छाछ (तीन दिन पुराना) लीजिए। इसमें दो चम्मच पिसी हुई हल्दी और दो मुट्ठी कपड़े धोने का डिटर्जेंट पाऊडर मिलाएं। इस घोल को पशु के षरीर पर साफश्सुथरे कपड़े से लगाएं। साथश्साथ बाड़े में आसपास इसी घोल का स्प्रें करें।


Article Credit:http://www.gsgk.org.in

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