गर्भावस्था
के दौरान यदि भैंस का ठीक प्रकार से आहार, आवास और सामान्य प्रबंध किया
जाये तो आमतौर पर कोर्इ समस्या नहीं आती है और बच्चा सामान्य रूप से वृद्धि
करता रहता है। लेकिन कुछ विपरीत परिस्थितियों में बच्चा और मां दोनों के
लिए समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इन समस्याओं में प्रमुख हैं:
- गर्भपात होना
- फूल दिखाना
- बच्चे का ममीकरण अथवा सड़ना आदि।
गर्भपात होना
गर्भकाल
समाप्त होने से पहले ही गर्भस्थ बच्चे का गर्भाशय से बाहर निकल आना
गर्भपात कहलाता है। ऐसा बच्चा आमतौर पर जीवित नहीं रह पाता है तथा शीघ्र ही
मर जाता है। गर्भपात होने पर पशुपालक को दो प्रकार से हानि हो सकती है -
पहला बच्चे का नुकसान व दूसरा पूरा ब्यांत खराब होना। इस तरह की भैंसें
आमतौर पर दोबारा देर से गाभिन होती हैं। गर्भपात के अनेक कारण हो सकते हैं।
संक्षेप में उन्हें दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। पहला संक्रामक
कारण और दूसरा असंक्रामक कारण।
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